अफ़ग़ानिस्तान में विनाशकारी भूकंप, भारत ने बढ़ाई मानवीय सहायता

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

800 से ज़्यादा मौतें, हज़ारों घायल, और दर्द की दास्तां जो अफ़ग़ान मिट्टी से अब तक नहीं थमी। अफ़ग़ानिस्तान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा के कहर से जूझ रहा है, और इस बार भी भारत ने पड़ोसी धर्म निभाते हुए मदद का हाथ बढ़ाया है।

धरती हिली, ज़िंदगी बिखरी – मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है

अफ़ग़ानिस्तान के कई इलाकों में आए तेज भूकंप ने बस्तियां तबाह कर दीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 800 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई हज़ार घायल हैं। अभी भी मलबे में कई लोग दबे हो सकते हैं, जिससे मौतों की संख्या और बढ़ने की आशंका है।

भारत की तत्परता – टेंट से लेकर टनों राहत सामग्री तक

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर ख़ान मुत्ताक़ी से बात की और संवेदना व्यक्त की।
इसके बाद भारत ने तुरंत काबुल में 1000 परिवारों के लिए टेंट, और 15 टन खाद्य सामग्री भेजी।

जयशंकर ने एक्स (Twitter) पर कहा – “इस कठिन समय में भारत अफ़ग़ानिस्तान के साथ खड़ा है।”

मदद जारी रहेगी – मंगलवार से और राहत भेजेगा भारत

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पुष्टि की कि भारत राहत प्रयासों में इज़ाफा कर रहा है। आने वाले दिनों में और भी चिकित्सकीय और राहत सामग्री अफ़ग़ानिस्तान भेजी जाएगी।

डिप्लोमेसी से आगे इंसानियत – पड़ोसी धर्म की मिसाल

जब दुनिया अपनी राजनीति में उलझी है, भारत ने एक बार फिर दिखाया है कि इनसानियत की भाषा सीमा पार भी समझी जाती है।

सियासत की सीमाओं से दूर, यह मदद एक मानवीय रिश्ते की गर्माहट है – जिसमें न धर्म है, न सत्ता, सिर्फ़ सहानुभूति और समर्थन

ज़रूरत के वक़्त जो साथ खड़ा हो – वही सच्चा पड़ोसी

अफ़ग़ानिस्तान आज फिर संकट में है, और भारत ने एक बार फिर बिना शर्त साथ निभाने का वादा निभाया है।
जहां मिट्टी कांपी, वहां भारत की मदद उम्मीद बनकर पहुंची। ये सिर्फ़ टेंट और टन नहीं, तसल्ली और तहज़ीब की मिसाल है।

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